रॉयटर्स के अनुसार IQNA की रिपोर्ट, नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध, जो कि पिछले महीने से शुरू हुआ था, गणतंत्र दिवस यानि भारतीय संविधान लागू होने के दिन के जश्न के साथ जारी रहा।
नई दिल्ली में, सरकार ने भारत की सैन्य हार्डवेयर और सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन करने के लिए वार्षिक गणतंत्र दिवस परेड की मेजबानी की, और ब्राजील के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि थे।
उसी समय दक्षिणी राज्य केरल में, विरोध प्रदर्शन के आयोजकों ने घोषणा की कि 100,000 से अधिक प्रदर्शनकारियों ने मानव श्रृंखला बनाई थी। इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान, राज्य भर में 250 से अधिक स्थानों पर जनसभाएँ की गईं।
केरल के शहर में एक सार्वजनिक बैठक में बोलते हुए, मुखमंत्री पिनाराय विजयन ने कहा: "यह केवल एक मानव श्रृंखला नहीं थी, बल्कि संवैधानिक सिद्धांतों के उल्लंघन में एक मानव दीवार थी।"
विरोध के आयोजकों ने यह भी कहा कि कलकत्ता में लगभग 11 किलोमीटर की एक और मानव श्रृंखला बनाई गई थी।
इसी तरह मुंबई वित्तीय केंद्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी लख्नऊ में भी जिसमें अशांति शुरू होने के बाद से सबसे अधिक मौतें हुई हैं हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया ।
नागरिकता अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (NRC) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी के चुनाव अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
भारत सरकार का मानना है कि दक्षिण एशिया में शरणार्थियों की सुरक्षा के लिए कानून की आवश्यकता है। भारत सरकार के अनुसार, 31 दिसंबर 2014 से पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए हिंदू, पारसी, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए नागरिकता अधिनियम पारित किया गया है। लेकिन यह कानून मुसलमानों को अलग करता है।
कानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शनकारियों और भारतीय पुलिस के बीच झड़पों ने इसके अधिनियमित होने के बाद से कम से कम 25 लोगों की मौत होचुकी है।
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